सुलाया है फ़क़त पानी पिलाके उसने बच्चों को।
हैं आँसू ख़ुश्क लेकिन उसकी सिसकारी नहीं जाती।।
ये माँ के पाँव हैं पलकों से चूमो।
तुम्हें मालूम है जन्नत यहीं है।।
सुलाया है फ़क़त पानी पिलाके उसने बच्चों को।
हैं आँसू ख़ुश्क लेकिन उसकी सिसकारी नहीं जाती।।
ये माँ के पाँव हैं पलकों से चूमो।
तुम्हें मालूम है जन्नत यहीं है।।